इतिहास में दानवीरता और समरसता का श्रेष्ठतम उदाहरण है कोंकण क्षेत्र जिसे भगवान परशुराम ने समुद्र से भूमि लेकर बनाया और जिन मनुष्यों के पास रहने को घर और अन्न हेतु खेती की जमीन नहीं थी, ऐसे भूमि हारा लोगों को यहाँ बसाया। इसे परशुराम क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं सत्ता हस्तांतरण का भी अनुपम उदाहरण छठवें अवतार भगवान श्री परशुराम ने सातवें अवतार प्रभु श्री राम को शिव धनुष हस्तांतरित कर प्रस्तुत किया। इन्हें जाति विशेष का देवता मानना पाप है। भगवान परशुराम तो समानता और समरसता के देवता हैं, श्रीविष्णु के अवतार हैं और उन्हें उसी स्वरूप में देखा जाना चाहिये। उपरोक्त बातें विप्र फाउंडेशन के संस्थापक सुशील ओझा ने मुंबई के मीरा भयंदर में आयोजित गुरु पूर्णिमा उत्सव के भव्य अवसर पर बड़ी संख्या में जुटे विप्रजनों को संबोधित करते हुए कही। जोनल अध्यक्ष आचार्य सुभाष शर्मा की अध्यक्षता तथा जोनल प्रभारी श्रीकिशन जोशी के मार्गदर्शन में आयोजित भव्य समारोह में संस्था की छह शाखाओं के पदाधिकारियों को शपथ ग्रहण करायी गयी। समारोह को पूर्व विधायक सर्वश्री नरेंद्र मेहता, सुरेश नागदा, गोविंद गोपाल शर्मा, सुधीर खंडेलवाल, दयाराम पालीवाल, मंगला पुरोहित, खुशबू श्रीमाली, रमण भारद्वाज, तरुण शर्मा ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर प्रतिभावान छात्रों को पुरस्कृत किया गया। राष्ट्रीय पदाधिकारी सर्वश्री सत्यनारायण श्रीमाली, प्रताप पुरोहित, रामावतार चोटिया भी उपस्थित थे।