चूरू, चाकसू, उदयपुर, 22 नवम्बर 2016 । “दि फ्यूचर सोसाइटी” एवं “विप्र फाउण्डेशन” के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार 22 नवम्बर 2016 को युवाओं को समर्पित कैरियर काउन्सिलिंग संबंधी पायलट प्रोजेक्ट “सारथी” का कॉउन्सिलिंग में दिल्ली के प्रख्यात अधिवक्ता, प्रिंट मीडिया एवं काउन्सलर श्री प्रणव कुमार ने विडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से बच्चों का मार्गदर्शन किया जिसमें श्रीमती केसर देवी सोती उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर से विद्यार्थी उपस्थित हुए। श्री प्रणव कुमार ने तीनों सेंटरों के (चूरू, चाकसू, और उदयपुर) के छात्रों के हार्डवेयर, नेटवर्किंग, आईपीएस, आईटीआई, आर्ट्स, आई.पी.एम्.टी., चिकित्सक, एल. एल. बी. सहित अनेक विषयों पर छात्रों केसम्बंधित छात्रों के प्रश्नों का जवाब देकर सबको संतुष्ट किया। दो घंटे चले इस सेशन में श्री प्रणव ने बताया कि विद्यार्थी जिस क्षेत्र में जाना चाहता है उसे उस क्षेत्र की जानकारी बहुत जरुरी है। कैरियर सम्बन्धी विभिन्न सवाल पूछे. एक विद्यार्थी पीयूष ने पूछा कि क्या हिन्दी माध्यम किसी भी कैरियर के लिए बाधा है? जिस पर प्रणव जी का कहना था कि भाषा कभी भी कैरियर में आगे बढ़ने के लिए बाधा नहीं होती. जिसे हिंदी आती है और अंग्रेजी नहीं आती वे ना समझें कि वे मूल्यवान नहीं हैं। भाषा बदलने से तथ्य नहीं बदल जाते हैं। एक विद्यार्थी का सवाल था कि साइंस को पाठ्य सामग्री से पढ़ा जाये या इन्टरनेट के माध्यम से. जिस पर काउंसलर ने बताया कि इन्टरनेट पर हर जगह विश्वसनीय सामग्री मिले ऐसा आवश्यक नहीं है. किसी संस्थान की ऑफिशियल वेबसाइट पर ही भरोसा किया जा सकता है. एक अन्य छात्र राकेश शर्मा का पूछना था कि स्पेस साइंस में जाने की क्या प्रक्रिया है. जिस पर काउंसलर ने बताया कि तीन तरह से स्पेस साइंस में जाया जा सकता है. पहला सरकारी योजना “किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना” जिसमें स्कोलरशिप के माध्यम से जाया जा सकता है. दूसरा विकल्प इसरो के कई ट्रेनिंग प्रोग्राम होते हैं जो कि स्नातकोत्तर के बाद उपलब्ध हैं. तीसरा विकल्प नासा के माध्यम से स्पेस साइंस में जाया जा सकता है । नितेश का पूछना था कि बोर्ड एग्जाम्स से पहले विद्यार्थियों का क्या माइंडसेट होना चाहिए. जिस पर उन्हें बताया गया कि परीक्षा के अंक किसी की सफलता का पैमाना नहीं होना चाहिए. सफल बनने के लिए हर काम मन लगाकर करें और समाज व देश की सेवा में अगर आप किसी न किसी तरह से योगदान कर रहे हैं तो आप निश्चित ही एक सफल इंसान हैं. इसी सवाल पर उन्होनें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे चायवाले होकर भी आज इतना बड़ा देश संभाल रहे हैं। उसी तरह अगर युवाओं में योग्यता, साहस और कुछ करने कि इच्छाशक्ति है तो वे निश्चित ही आगे बढ़ सकते हैं। विद्यार्थियों के साथ आदर्श विद्या मंदिर के प्राचार्य श्री किशनलाल जी सैनी भी उपस्थित थे। जिन्होनें भी प्रणव जी से एक समस्या साझा की, कि आजकल के बच्चों में अस्थिरता बहुत है, उन्हें हर काम की जल्दबाजी रहती है तथा जो भी उन्हें पढाया या समझाया जाता है तो उन्हें लगता है वे सब पहले से ही जानते हैं। जिस पर प्रणव जी का कहना था कि यह एक अहंकार है जो आजकल के बच्चों में है कि उन्हें सब आता है और कुछ सीखने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन यह उनका वहम है और इस से ऊपर उठकर उन्हें ध्यान से समझना चाहिए जब उन्हें पढाया जाता है क्योंकि अगर वे ध्यान देंगें तो वास्तव में उन्हें अपने गुरुओ से रोजाना कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है। श्री किशन जी ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने के लिए काउंसलर को धन्यवाद किया, काउंसलर ने भी विद्यार्थियों की प्रशंसा की और कहा सवाल पूछने का उनका स्तर बहुत ही अच्छा था. साथ ही प्रणव जी ने सारथी को ग्रामीण परिवेश और चूरू जैसे छोटे शहर के विद्यार्थियों के लिए एक अवसर बताया. उन्होनें कहा चूरू के युवाओं के लिए सारथी एक समर्पित मार्गदर्शक का कार्य कर रहा है । सेशन के दौरान विद्यार्थियों और काउंसलर के बीच टीचर-स्टूडेंट का बेहतरीन रिश्ता जुड़ चुका था। सेशन में उपस्थित सभी विद्यार्थी संतुष्ट थे। उनका कहना था कि चूरू में ही बड़े काउंसलर्स की सुविधा मिलना उनके लिए बहुत उपयोगी है। चूरू के साथ ही सारथी के अन्य दो सेंटर चाकसू व उदयपुर भी जुड़े थे। कंप्यूटर के क्षेत्र में बहुत सारे विकल्प है। इसके लिए आप कोचिंग सेंटर की भी मदद ले सकते है। उन्होंने जनरल नॉलेज सम्बन्धित प्रश्नों के जवाब उदहारण सहित दिये। बच्चों की योग्यतानुसार विभिन्न विकल्पों की जानकारी दी। लगभग 2 घंटे चले सेशन में विद्यार्थियों ने उत्साह से भाग लिया और को कैरियर सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की । सूर्य प्रतिष्ठान भवन, 22, जयराम कॉलोनी, ठोकर चौराहा, उदयपुर, धर्म स्तूप के पास गोज्ञान भवन, चूरू और पुरानी टोंक रोड, चाकसू के तीनों केंद्रों से लगभग पच्चास विद्यार्थियों ने काउन्सलिंग का लाभ उठाया और सभी के चेहरों पर संतोष का भाव था।