बेंगलूरु। राजस्थान एवं हरियाणा के ब्राह्मणों के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व पारिवारिक उन्नयन के लिए गठित अतंर्राष्ट्रीय संस्था विप्र फाउण्डेशन के जोन 18 द्वारा रविवार को शहर के ओकलीपुरम स्थित माहेश्वरी भवन में एक उपयोगी कार्यक्रम ‘‘ छू लें आसमान’’का आयोजन किया गया जिसमें विशेष रूप से समाज के उभरते युवा उद्यमियों और प्रोफेशनल्स को प्रेरित करने के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील्स के उप-प्रबंध निदेशक डॉ. विनोद नोवाल , भवन निर्माण क्षेत्र में अग्रणी समूह शोभा लिमिटेड के उपचेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक जे सी शर्मा तथा विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक सुशील ओझा ने अपने विचार व्यक्त किए तथा उनका मार्गदर्शन किया। विप्र समाज की इन हस्तियों ने साधारण परिवार में जन्म लेकर उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। इनके मुख से इनकी जीवन यात्रा की कहानी सुनकर युवा पीढ़ी प्रेरणा लेकर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाए, यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य था। तीनों वक्ताओं ने बेहद ही शालीन व प्रभावशाली ढंग से अपने व्याख्यान दिए।
इनके अलावा चार विप्र युवाओं को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया जिनमें केपीएमजी के निदेशक संजय शर्मा, टेली सोल्यूशन्स के सीआईओ कमल शर्मा, मेडास इम्पेक्स प्रा.लि. के प्रबंध निदेशक सुरेश पारीक और गोमती लाइफ साइंस इंडिया के प्रबंध निदेशक महेन्द्र कुमार शर्मा शामिल थे। जोन 18 के अध्यक्ष मणिशंकर ओझा ने सभी उपस्थित जनों का स्वागत किया। विफा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्रीकांत पाराशर ने छू लें आसमान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सचिव जगदीश आचार्य ने किया। इस मौके पर उपस्थित डॉ विनोद नोवाल की धर्मपत्नी श्रीमती लता नोवाल का विफा की सरंक्षक श्रीमती सरोजा व्यास ने शाल ओढ़ाकर सम्मान किया। कार्यक्रम के अंत में जोन 18 के महामंत्री हरिराम सारस्वत ने सभी को धन्यवाद दिया।
एकाग्रता के साथ कड़ी मेहनत दिलाती है सफलता : डॉ. विनोद नोवाल
जेएसडब्ल्यू स्टील लि. के उप प्रबंध निदेशक डॉ विनोद नोवाल ने सभी को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं देते हुए परिवार में आने वाले छोटे बड़े मौकों पर आपस में मेलमिलाप बढ़ाने और मौके का आनंद उठाने की बात कही। उन्होंने अपने उद्बोधन में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम जीवन में कुछ करने की ठान लें और वह न कर सकें, ऐसा नहीं हो सकता। यदि हम उसे पाने के लिए योजना बनाएं और फिर पूरी एकाग्रता के साथ उस लक्ष्य पर केन्द्रित होकर कार्य करें तो वह लक्ष्य अवश्य ही प्राप्त होता है। निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति एकाग्रता, यानी फोकस से ही संभव है। एकाग्रता के साथ कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी है। किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए कड़ा श्रम ही एक मात्र रास्ता है। आज हार्ड वर्क का स्थान स्मार्ट वर्क ने ले लिया है। पहले एक कार्य को करने के लिए कई मजदूर व कारीगर कड़ी मेहनत करते थे परन्तु आज उसी कार्य को करने के लिए एक मशीन द्वारा स्मार्ट तरीके से कार्य किया जा रहा है। इसलिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। इन स्थिति में अपना स्थाना बनाना कड़ी मेहनत से ही संभव है।
देश निर्माण में विप्रों की अहम भूमिका
नोवाल ने कहा कि सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत के बाद समय प्रबंधन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। व्यक्ति को हर कार्य के लिए समय निर्धारित करना चाहिए और उस अनुसार कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर मां की भावना होती है उसकी संतान सफलता प्राप्त करे परन्तु भावना को पूरा करने के लिए भी माता -पिता के कुछ कर्तव्य होते हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों में परस्पर कभी तुलना नहीं करनी चाहिए और कभी भी पढ़ाई में प्राप्त मार्क्स के आधार पर उनका मूल्याकंन नहीं करना चाहिए। नोवाल ने कहा कि आप किसी भी कॉलेज व उच्च परीक्षा के परिणामों की सूची में मेरिट के अग्रणी दस नामों पर दृष्टि डालें तो देखेंगे कि किसी धनाढ्य परिवारों के बच्चों के नहीं अपितु मध्यम वर्ग परिवार के बच्चों के ही होते हैं। उन्होंने कहा कि पैसे से ही सब कुछ नहीं पाया जाता, पैसा बहुत कुछ है परन्तु पैसा सब कुछ नहीं होता। इस बात का हमें विशेष ध्यान रखते हुए पैसे से अधिक अपनी प्रतिभा और प्रज्ञा का पूरा उपयोग कर अपनी योग्यता सिद्ध करनी चाहिए। हमें अपने आप को सबल और उन्नत बनाना चाहिए। कुछ हासिल करने पर पैसा अपने आप आपके पीछे आएगा।
बच्चों के जीवन को सरल व स्पष्ट बनाएं
उन्होंने विदेशों के बच्चों की तुलना अपने समाज के बच्चों से करते हुए कहा कि बाहर देशों के बच्चों का बचपन बहुत ही सरल और स्पष्ट होता है परन्तु हमारे बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र, हर कदम पर टोका जाता है, डराया जाता है जिससे उन्हें बचपन में सुरक्षा का भाव ही नहीं मिल पाता। हम सभी को अपने बच्चों को सुरक्षा का भाव देना चाहिए और उन्हें पारिवारिक मतभेदों से दूर रखना चाहिए। घरेलू जासूसीगिरी से परे रखकर उन्हें जिम्मेदारी से आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति कोई उंचार्ई प्राप्त करता है तो उस ऊंचे स्तर पर पहुंचने के लिए उपयोग में लाई गई सीढ़ी अर्थात सहयोगियों को कभी नहीं भूलना चाहिए। जिस सीढ़ी से चढ़कर हम ऊंचे पहुंचते हैं, हमेशा उसका सम्मान करना चाहिए। व्यक्ति को कुछ उपलब्धियां हासिल करने के बाद और भी अधिक सरल और विनम्र बनना चाहिए। सरलता और विनम्रता से ही सफलता की पहचान होती है।
मेहनत और ईमानदारी से न करें समझौता
नोवाल ने उपस्थितजनों से अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन की बातें साझा करते हुए बताया कि वे एक मध्यम वर्ग से आते हैं और उनके जीवन निर्माण में उनके परिवार के माहौल, परिवार की प्रतिष्ठा, सहयोगियों और एनसीसी में सक्रियता की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि कोशिश तो सभी करते हैंै परन्तु कुछ सफलता को पा लेते हैं और कुछ पीछे छूट जाते हैं। हर आदमी की जिन्दगी में अवसर अवश्य आते हैं और यदि हम अवसरों को पहचानते हुए उन मौकों का फायदा उठाते हैं तो सफलता हमारे कदम चूमती है। उन्होंने कहा कि जीवन में अपने काम के प्रति ईमानदारी और मेहनत से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि मेहनत व ईमानदारी के रास्ते में देर अवश्य लगती है परन्तु 100 प्रतिशत सफलता मिलती ही है। उन्होंने व्यापार व उद्योगों में आ रही क्रांति के बारे में बताते हुए कहा कि भारत आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और वह दिन दूर नहीं जब हमारी अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी समृद्धशाली अर्थव्यवस्था होगी। उद्योगों के बढ़ने से देश व समाज भी बढ़ता है।
सफलता पाने में भाग्य और कर्म की अहम भूमिका : जे.सी. शर्मा
अनन्य वक्ता के रुप में देश की अग्रणी भवन निर्माण कंपनी शोभा लिमिटेड के उपचेयरमैन व प्रबंध निदेशक जेसी शर्मा ने अपने व्याख्यान के प्रांरभ में कहा कि व्यक्ति के जीवन में अवसर निरंतर आते ही रहते हैं, इन अवसरों से ही हमारा जीवन बना है। हमें सही अवसरों का उपयोग करना चाहिए। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए भाग्य और कर्म साथ देते हैं। हम विप्र जनों में संतोष बहुत होता है और कई बार यह संतोष ही हमारी प्रगति व सफलता प्राप्ति में रुकावट बनता है। कोई भी काम को छोटा नहीं समझना चाहिए। सभी कामों में असीमित संभावनाएं होती हैं। छोटी चीज ही आगे जाकर बड़ी बनती है। आदमी द्वारा निर्मित कर्म, लगन, मन, धैर्य, धीरज और सहज भाव से यदि व्यक्ति सभी दिशाओं में कार्य करे तो उससे उसकी योग्यता और अधिक मजबूत और दॄढ़ बनती है और उसे बल मिलता है। शर्मा ने कहा कि सफलता और असफलता तो अस्थिर चीज हैं। यदि परिवार में कोई सफल होता है तो हमें उसकी खुशी मनानी चाहिए, परन्तु यदि कोई असफल हो तो हमें परिवार में ऐसा माहौल पैदा करना चाहिए ताकि वह असफलता का भाव अपने अंदर सहेज न ले और असफल होने के बावजूद भी वह सहज महसूस करते हुए नई सफलता के लिए प्रयास शुरु करे।
सफलता में कर्मों का अहम स्थान
जेसी शर्मा ने कहा कि जीवन में कोई पहला और कोई अंतिम नहीं होता। इस दुनिया में हर व्यक्ति एक न एक विशेष कार्य के लिए भेजा गया है। हमें अपनी प्रतिभा को निरंतर बढ़ाते हुए काम करते रहना चाहिए। सफलता में कर्मों का अहम स्थान होता है। सफलता और सुविधाओं में अंतर बताते हुए शर्मा ने कहा कि सफल व्यक्ति को सुविधा मिलती ही है परन्तु सुविधा को हमेशा गौण ही मानें। यदि जीवन में व्यक्ति को सफलता मिलती है तो उसे बांट लेना चाहिए और असफलता को सब को मिलकर सहन कर लेना चाहिए। जीवन में आदमी के गुणों का मूल्याकंन करना चाहिए, हमेशा उसके गुणों को बढ़ावा देते हुए उसकी सराहना करना चाहिए। व्यक्ति को अतिमहत्त्वकांक्षी नहीं होना चाहिए और अपनी योग्यता के अनुसार कार्य करना चाहिए। जीवन में यदि सब कुछ है और अपने परिवार व बच्चों के लिए समय नहीं है तो ‘सब कुछ’ पलभर में ‘कुछ नहीं’ में बदल जाता है।
असफलता ही सफलता की शुरुआत
शर्मा ने छोटी छोटी परन्तु गूढ़ बातें बताते हुए कहा कि जीवन में सभी को सफलता नहीं मिलती। यदि अपेक्षित सफलता नहीं मिले तो कोई बात नहीं परन्तु यदि व्यक्ति सही ढंग से परिवार का भरणपोषण कर ले, बच्चों को सही दिशा दे दे और जीवन में परिवारजनों के लिए अच्छा कार्य कर जाए तो यह भी बड़ी सफलता से कम नहीं होता । असफलता को जीवन की हार नहीं मानना चाहिए क्योंकि वही तो सफलता की पहली सीढ़ी होती है। असफलता ही सफलता की शुरुआत होती है। असफलता हमें अपनी कमियों को पहचानने और उन्हें सुधारने का मौका प्रदान करती है। आपको जिस कार्य में आनंद की अनुभूति हो वह कार्य करना चाहिए न कि किसी मजबूरी के तहत कार्य करें। उन्होंने कहा कि जीवन में कम से कम झूठ बोलें, अपनों पर विश्वास करें,अपने आप को होशियार बनाएं, दूसरों की गलती पर चिल्लाएं नहीं, संतोष का भाव रखें, आर्थिक स्थिति को दयनीय न बनाएं, आत्मविश्वास को जगाए रखें, किसी दूसरे की गलती को बार बार न बताएं, दूसरों की खूबियों को गिनाएं, तभी एक साधारण व्यक्ति भी असाधारण कार्य कर सकता है।
सफलता का दूसरा नाम है निरंतरता
शर्मा ने भारतीय अर्थव्यवस्था व उद्योग जगत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत शीघ्र ही विश्व की पहली सुदृढ़ अर्थव्यवस्था के रुप में उभरेगा और साथ ही आध्यात्मिक क्षेत्र में भी विश्व का गुरु बनेगा, जिसमें विप्रों के सहयोग का स्थान अग्रणी होगा । शर्मा ने अपने उद्बोधन के उपसंहार में कहा कि बच्चों को खाने, खेलने, घूमने, पिक्चर देखने की छूट देनी चाहिए क्योंकि ये सब हर एक बच्चे के सर्वांगींण विकास के लिए जरुरी है बशर्ते वे व्यसन व दुर्विचारों में न पड़ें तो। उन्होंने कहा कि हारते या जीतते हुए हमें अनवरत चलते रहना चाहिए क्योंकि निरंतरता में ही सच्चा आनंद छुपा हुआ है।
हमारा ‘‘आसमां’’ तय करना जरूरी : ओझा
विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक सुशील ओझा ने अपने प्रखर भाषण में कहा कि आज के कार्यक्रम का नाम बहुत ही आकर्षक है-छू लें आसमान। आसमान छूने की ललक जागृत हो और हम उस दिशा में प्रयास करें यह बहुत सराहनीय बात है परन्तु इससे पहले यह निर्णय करना जरूरी है कि हमारा आसमां क्या हो? लक्ष्य कौनसा हो? क्या केवल धन पाना ही आसमां हो या अपनी संस्कृति, अपने परिवार, अपने समाज, अपने माता पिता के मान-सम्मान-स्वाभिमान के साथ उपलब्धियों के आयाम स्थापित करना आसमां हो।
नये क्षितिजों को उद्घाटित करें
सुशील ओझा ने वर्तमान में समाज के सांस्कृतिक पतन की ओर ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि आज के सूचना प्रौद्योगिकी के युग में उपलब्ध सभी सुविधाओं के गुण दोषों का आकलन करते हुए उनका उपयोग करना चाहिए। युवाओं को बहुत जल्दी बहुत कुछ पाने की होड़ में शामिल नहीं होना चाहिये | उन्हें कंसिस्टेंट रूप से प्रयास करना चाहिये तभी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं | उन्होंने कहा की युवाओं में सहनशीलता तथा विनम्रता होनी चाहिये | थोड़ा बहुत कुछ प्राप्त होते ही अभिमान नहीं करना चाहिये | ओझा ने आसमां छूने के लिये आसमां जितने बड़े उद्देश्य लेकर आगे बढ़ने की बात कही | उन्होंने सपनों के साथ ऊर्जा को सुनियोजित करना चाहिये | सुशील ओझा ने कहा कि परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तन करते रहने की कला भी युवाओं में चाहिये | हमें रिजिड नहीं होना है | एक समय था जब CA/CS की शिक्षा उपयुक्त थी आज ई – मार्केटिंग , बिज़नेस एनालिस्ट जैसे अनेक नए क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं | इन सब बातों को ध्यान में रखकर युवा अपना कॅरियर आगे बढ़ायें तो वे अवश्य ही आसमां की ऊंचाइयों को स्पर्श करेंगे | विषय का समापन उन्होंने इन पँक्तियों किया कि – जो लोग समय का नाग नाथते हैं , वृन्दावन उनके पीछे चलता हैं | गोवर्धन धारण करनेवालों का, सारा गोकुल अभिनन्दन करता हैं |
विप्रों में परस्पर विवाह संबंध हों
उन्होंने यह भी कहा कि हम अपने बच्चों के संस्कारों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। स्वयं की महत्वाकांक्षा और बच्चों को केवल शिक्षित बनाने पर जोर दे रहे हैं परन्तु बच्चा या बच्ची वास्तव में किस दिशा में आगे बढ़ रहा है इस पर नजर नहीं रख रहे। इसके परिणाम चिंताजनक हैं। सुशील ओझा ने विप्र फाउंडेशन की गतिविधियो की विस्तृत जानकारी दी। फाउंडेशन द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति, योजना आदि के बारे में बताया और इनका न केवल लाभ लेने की बात कही बल्कि सहयोग देने का आह्वान भी किया। राजस्थान में भगवान परशुराम विश्वविद्यालय की स्थापना के विषय में चल रहे प्रयासों की जानकारी भी दी।
उन्होंने यह भी कहा कि सभी ब्राह्मण जातियों में परस्पर बेटी व्यवहार को अपनाने का समय आ गया है। एक दूसरे के खान-पान, रहन, सहन, पहनावा, रीति रिवाज एक होने के बावजूद हम उपजातियों में इतने संकुचित बने हुए हैं कि हमारे बच्चों की या तो शादी की उम्र निकलती जाती है या फिर वे इतर जातियों में विवाह करने को बाध्य हो जाते हैं। इस विषय पर गंभीर चिंतन करना चाहिए और दिल से ऐसे प्रयास करने चाहिएं कि सभी ब्राह्मणों में परस्पर विवाह संबंध होने लगें। उन्होंने विनोद नोवाल, जेसी शर्मा जैसे समाज रत्नों की भरपूर सराहना की।