जोधपुर, 12 दिसंबर 2018। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी. एस. भाटी ने बुधवार को ट्वीटर प्रमुख जैक डोरेसे के खिलाफ विप्र फाऊंडेशन के प्रदेश युवा उपाध्यक्ष राजकुमार शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत द्वारा दायर याचिका के तहत डोरेसे को गिरफ्तार करने पर रोक लगा दी। लेकिन न्यायाधीश भाटी ने अपने आदेश में यह भी कहा कि बासनी पुलिस थाने में डोरसे के खिलाफ दायर एफआईआर के अनुसन्धान में डोरसे स्वयं या वकील के माध्यम से सहयोग करे। डोरसे के खिलाफ ट्विटर पर ब्राह्मणों के खिलाफ कथित टिप्पणी करने पर जोधपर में इस्तगासा दायर करने के बाद अदालत की ओर से बासनी पुलिस थाने में एफआईआर दायर करने के आदेश किये थे। डोरसे की ओर से एफआईआर क्वेश करने बाबत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका दायर की थी। डोरसे की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी व मुक्तेश माहेश्वरी ने पैरवी की। सरकार की ओर से उप राजकीय अधिवक्ता विक्रम राजपुरोहित ने पक्ष रखा। गौरतलब है कि गत एक दिसम्बर को महानगर मजिस्ट्रेट संख्या चार की पीठासीन अधिकारी रचना बिस्सा ने ट्वीटर प्रमुख जैक डोरसे के खिलाफ पेश किए गए परिवाद को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 56(3) के तहत पुलिस थाना बासनी को प्रेषित करते हुए एफआइआर दर्ज कर अनुसंधान करने के आदेश दिये थे। विप्र फांऊडेशन के राजकुमार शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने डोरसे द्वारा ब्राह्मण समाज के प्रति द्वेषटतापूर्ण पोस्टर जारी करने के खिलाफ न्यायालय में भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए,500,120 बी सहित विभिन्न धाराओं के तहत परिवाद पेश किया। ट्वीटर सीईओ जैक डोरसे तथा अन्य ने पिछले दिनों ब्राह्मण समाज को अपमानित करने के उद्देश्य से एक पोस्टर ट्वीटर पर जारी किया था। जैक के द्वारा जारी पोस्टर में ब्राह्मणवादी पितृ सत्ता का नाश होने की अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है।