श्रीगंगानगर में 28-02-2016 को विफा गठन को लेकर सम्मेलन का आयोजन
राजकुमार गौड़, आर.पी.भारद्वाज सहित अनेक वक्ताओं ने रखे विचार। ब्राह्मणों की उपजातियों का समूह ही नहीं समाज का वह दिव्य मंदिर है विप्र फाउण्डेशन [विफा] जो, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित तो हो ही रहा है हमें एक जाजम पर लाकर उत्थानपरक गतिविधियों के साथ राष्ट्रीय एकता, स्वजातीय गतिशीलता एवं सामाजिक समरसता को भी बढ़ा रहा है। यह कहा विप्र फाउण्डेशन राजस्थान के जोन एक बी के नवनियुक्त अध्यक्ष ताराचंद सारस्वत ने। वे यहां हनुमानगढ़ मार्ग स्थित अंध विद्यालय हॉल में जिले के विप्रजनों के एक सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। श्रीगंगानगर में विफा के उद्देश्यों-क्रियाकलापों एवं भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए जिला इकाई के गठन तथा उपस्थित विप्र विद्वजनों के विचार-सुझावों के साझा मंच से सामूहिक एकता की आवास भी बुलंद हुई। यूआईटी श्रीगंगानगर के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार गौड़, मशहूर वैज्ञानिक प्रो. आर.पी.भारद्वाज, विफा के प्रदेश मंत्री एल डी तावणिया, व्यापार मण्डल के पूर्व अध्यक्ष नरेश शर्मा, विद्वान पंडित तनसुखरामजी व विफा हनुमानगढ़ के जिलाध्यक्ष दिनेश दाधीच की मंचासीन मौजूद्रगी में संस्कारित विरासत को कायम रखने, जागरुकता एवं एकजुट होने के संकल्प के साथ ब्राह्मणवाद नहीं ब्राह्णत्व बढ़ाने पर जोर दिया गया। भगवान परशुरामजी एवं मां सरस्वती के छायाचित्रों के समक्ष दीप रोशन एवं माल्यार्पण के साथ शुरु हुए कार्यक्रम में तावणिया ने विफा के गठन, उद्देश्यों के साथ बताया कि देश के 16 राज्यों में विधिवत् क्रियाशील विफा ने विभिन्न जातियों में बंटे ब्राह्मणों को एक बैनर तले एकत्रित कर आगे बढ़ा रहा है। श्रीगंगानगर में कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर भी उन्होंने विचार रखे। सारस्वत ने इस अवसर पर विभिन्न उदाहरणों के साथ एक जाजम पर एकत्रित होने की अपील करते हुए कहा कि राजनीतिक सहित लगभग हर समस्या का समाधान हमारी सामूहिक एकता से स्वत: हो जाएगा। 36 मिनट के अपने जोशीले वकतव्य में सारस्वत ने विफा से जुडऩे का आह्वान करते हुए मार्गदर्शन-सुझावों के साथ, सुचारु योजनाओं का लाभ समाज को दिलाने की बात भी कही। उन्होंने बताया कि राजधानी जयपुर में स्किल डवलपमेंट एवं रोजगार हेतू चाणक्य सेंटर की स्थापना का प्रयत्न सुचारु है। इससे पूर्व वैज्ञानिक भारद्वाज ने भी विप्रजनों से अपनी योग्यता को परिभाषित करने व एकता के सूत्र में बंधने की सीख दी। उन्होंने कहा कि समाज के प्रति समर्पण भाव की धारणा बनकर कुछ करने हेतू वचनबद्ध होंगे, तभी भावी पीढ़ी हमें याद रखेगी। वहीं गौड़ बोले निश्चित रुप से समाज की दशा कमजोर है, विफा की दिशापरक नीतियों को व्यापकस्तर पर लागू कराने में सहयोगी भूमिका जरुरी है। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को त्यागने व आपसी विरोध की परम्परा को भी त्यागने की गुजारिश की। इस अवसर पर संस्कृत के विभागाध्यक्ष कुंजबिहारी पाण्डे, मगन जोशी, प्रवीण कुमार, लेखाधिकारी किशन शर्मा, प्रदीप सहाय, मदन जोशी, शिव ओझा, कर्मचारी नेता सत्यनारायण शर्मा, सतपाल कौशिक, सतीश शर्मा, नरेश शर्मा, दयानंद शर्मा, पवन शर्मा, चैतन्य शर्मा, महेश जोशी सहित अनेक वक्ताओं ने वोट की राजनीति एवं आरक्षण पर कटाक्ष, नियमित सामूहिक परस्पर मिलन के आयोजन, सामूहिक कन्या विवाह, सवर्ण आयोग के गठन, समाज के प्रति अधिकार नहीं-कर्तव्यपालन, एक-दूसरे की मदद, मान-सम्मान की परम्परा के निर्वहन, महापुरुषों की जयंतियों पर स्मृतिपरक कार्यक्रम तथा युवावर्ग-महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने जैसे विविध विचार रखे गए। कार्यक्रम संयोजक भगवती प्रसाद सारस्वत ने सभी का आभार जताया जबकि डा. अन्नाराम शर्मा ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।