गुरुग्राम 27 जनवरी 2017 । भारत की पहचान इसकी आध्यात्मिकता से है, इसकी धर्म आधारित विचारधारा है जो इसकी संस्कृति का मौलिक विचार है और इस विचार के मूल में है – सृजनात्मकता, निर्माण, त्याग और समर्पण इन तत्वों के बिना आध्यात्म की कल्पना तक संभव नहीं है और बिना आध्यात्म के भारत की कल्पना कोरी है। आध्यात्म का प्रकट और श्रेष्ठ स्वरुप है नारी, माँ, बहन, पत्नी, मित्र या कोई भी अन्यान्य स्वरुप क्यों ना हो, नारी सदैव ही सृजन, निर्माण, त्याग और समर्पण का जीता जागता ईश्वर है। किन्तु इस देश का दुर्भाग्य देखिये कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता” का उदघोष देने वाला ये महान राष्ट्र आज कन्या भ्रूण हत्या के अभिशाप से कलंकित हो रहा है। सृजन की जननी को गर्भ में ही मार डालने के जघन्य पाप से अपने हाथ रंग रहा है। ये कृत्य संपूर्ण मानवता को शर्मसार करने वाला है। ये विभीषिका है, दानव है, विराट पीड़ा का कारक है। यह रुकना चाहिए, इसे रोका जाना चाहिए। इसी पीड़ा को अपने अन्तस् में गहनता से अनुभव कर हरियाणा के निवासी श्री रामनिवासजी शर्मा ने एक बीड़ा उठाया कि भारत की भावी पीढ़ी अर्थात युवा विधार्थियों को जागृत किया जाए। उन तक इस अपराध से होने वाले दुष्प्रभावों को पहुंचाया जाये ताकि वो जब अपने जीवन में संतान प्राप्ति के सुखद प्रसंग से साक्षात्कार करें तक गर्भ में पल रही कन्या को मारें नहीं बल्कि उसे जीवन देकर ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास को व्यक्त करें।.इसमें सहायक बनी उनकी बनायी गई फिल्म “आठवाँ वचन-एक प्रतिज्ञा”। विफा के आठवां वचन के पर्यवेक्षक श्री रामनिवास शर्मा को 21 जनवरी 2017 को गांव सिकोपुर में यंग इण्डिया आर्गेनाईजेशन की तरफ से माननीय मंत्री राव नरबीर सिंह द्वारा “द लिजेंड ऑफ़ इण्डिया अवार्ड 2017” से नवाज़ा गया और 26 जनवरी 2017 को देवीलाल स्टेडियम सेक्टर 38 में माननीय सहकारिता मंत्री श्री मनीष कुमार ग्रोवर ने प्रशंसा पत्र दे कर सम्मानित किया। विप्र फाउंडेशन के आठवाँ वचन अभियान के सारथी श्री रामनिवासजी शर्मा अपनी बनाई हुई फिल्म के माध्यम से हजारों लोगों तक “बेटी बचाओ” के इस अभियान को पहुंचा चुके हैं और एक अविरल पथिक की भांति इस भागीरथी प्रयास को संचालित किए हुए हैं। विफा परिवार आपका ह्रदय के अन्तःस्थल से आभार व्यक्त करता है और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।