भुवनेश्वर, 14 जनवरी 2021। आस्था के पर्व “कुंभ स्नान का शुभारंभ” और स्नान- दान के महापर्व- “मकर संक्रान्ति ” के पावन पर्व के अवसर पर विप्र फाउंडेशन जोन10, की प्रान्तीय महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष श्रीमती पूनम शर्मा एवं रा०का० सदस्य, व केरियर काउन्सलिंग- ओड़िशा, के चेयरमैन श्री ओमप्रकाश मिश्रा की सलाह एवं कुशल मार्गदर्शन मे तैयारी करके भुवनेश्वर की शाखा अध्यक्षा श्रीमती पुष्पाजी मिश्रा एवं प्रांतीय उपाध्यक्षा श्रीमती अलका शर्मा के कुशल नेतृत्व मे , विप्र फाउंडेशन प्रान्तीय महिला प्रकोष्ठ की पदाधिकारियों तथा भुवनेश्वर महिला प्रकोष्ठ की पदाधिकारीगणों व सदस्यों ने भुवनेश्वर से करीब 20 कि०मी० दूर पर अवस्थित बालिका अनाथ आश्रम- “आशा किरण, भुवनेश्वर ” में सरंक्षित बालिकाओं को उनकी वर्तमान और भविष्य में व्यवहार के लायक उपयोगी वस्तुओं को भेंट में दी। तथा कुछ समय उनके साथ व्यतीत कर सौहार्दपूर्ण माहौल में महा संक्रान्ति पर्व मनाया। विप्र फाउंडेशन महिला प्रकोष्ठ की सदस्यों द्वारा अनाथ आश्रम में भेंट मे दी गयी वस्तुओं में बालिकाओं केे वस्त्र, शाल ( स्टोल), स्कार्फ, बेड सीट, मोजे, चप्पल, छतरी, सेनीटेरी-नेपकिन, बेल्ट, बिस्कुट, फूड पैकेट– चावल, दाल, चीनी इत्यादि, सर्फ, शेम्पू, कपड़े रखने के लिए बड़ा बैग, टोकरी, केला, इत्यादि प्रमुख सामान थे। महिला सदस्यों ने आपसी समन्वय और गहन विचार- विमर्श के पश्चात बालिकाओं के दैन्य उपयोग में आने वाली सारी वस्तुओं को स्वेच्छा से एवं व्यक्तिगत रुप से सहयोग कर एकत्रित किया था। पुष्पाजी एवं अलकाजी के साथ आज के इस पावन सेवा के कुंभ में सहयोग करनेवाली रेणु शर्मा- प्रान्तीय कोषाध्यक्ष, सुधा शर्मा- प्रान्तीय सचिव, ज्योति शर्मा- शाखा महासचिव, प्रमिला खण्डेलवाल- शाखा उपाध्यक्ष, सुनन्दा शर्मा- शाखा सचिव, कान्ता शर्मा- शाखा सचिव, उषा शर्मा- शाखा उपाध्यक्ष व शाखा कार्यकारिणी की सदस्या शिल्पा शर्मा, सरोज जोशी, छाया लढानिया, प्रेम शर्मा , अरूणा लढानिया, नेहा शर्मा, शारदा लढानिया, अलका खण्डेलवाल, पिन्की लढानिया, संतोष शर्मा, लता शर्मा, रुपा शर्मा, रशमी शर्मा, सीमा शर्मा, सरोज शर्मा, केसर शर्मा आदि प्रमुख थीं। हालांकि महिला प्रकोष्ठ के गठन के बाद भुवनेश्वर एवं प्रान्तीय प्रकोष्ठ का यह पहला कार्यक्रम था, लेकिन जिस उत्साह लगन व समर्पण की भावना सभी कार्यकर्ताओं ने दिखाई, तथा अपने घर के त्यौंहार से अपना बहुमूल्य समय निकाल कर, वे सब मिलकर बालिका अनाथ आश्रम में जाकर, समाज की इन वंचित और त्यज्य अबलाओं के साथ समय व्यतीत किया, उनकी जरुरतों और अभावों के बारे में सु-हृदयता के साथ संवाद कर उन्हें यह महसूस कराया कि समाज उनके साथ है, और जरुरत के समय हमेशा साथ देगा।