रायपुर, 6 मई 2021। भारतीय संस्कृति में कन्यादान को बहुत महत्व दिया गया है। कन्यादान करते ही कन्या का गोत्र बदल जाता है व एक अन्य परिवार की सदस्य बन जाती है। जन्म देने वाले परिवार से उसका नाता यहीं तक का होता है। स्वाभाविक है कन्यादान को एक उत्सव के रूप में संपन्न किया जाता है। बेटी को सदा के लिए विदा करने की पीड़ा से परिजनों का कलेजा फटा जाता है। लेकिन इसके साथ-साथ जिनके अर्थाभाव होता है उनकी परिस्थिति ऐसी कठिन होती है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। कन्यादान उत्सव की आवश्यक रस्में पूरी करने हेतु उन्हें जब थोड़ा सा सहारा भी मिलता है तो उनका रोम रोम आशीषें देने लगता है। सोनाली शर्मा ने बताया कि ऐसी ही आशीषों से अभिषिक्त हुईं है हमारे रायपुर शहर की तीन सखियाँ, सुश्री आशा बावला, सुश्री प्रेमलता शर्मा एवं सुश्री संगीता मिश्रा जी, जिन्होंने विप्र फाउंडेशन के शगुन प्रकल्प में सहयोग स्वरूप 21 हजार रुपये प्रदान किए हैं। इनकी राशि किसी जरूरतमंद परिवार की बेटी के विवाह में प्रेषित कर दी जाएगी।