कोलकाता 20 जनवरी 2017 । अविश्वसनीय, अद्भुत, अकल्पनीय, अतीव हर्ष एवम् प्रसन्नता का विषय है की विप्र शिक्षा निधि को आज 365 दिन पूर्ण हो गए हैं। परम् श्रद्धेय श्री श्री 1008 संत श्री तुलछारामजी महाराज की पावन प्रेरणा और आशीर्वाद से प्रारम्भ और पोषित ” शिक्षा यज्ञ” आज ऐसे मुकाम पर पहुँच गया है जिसे यदि प्रतिष्ठित प्रबन्ध संस्थानों में प्रकरण अध्ययन पद्धति के रूप में भी पढ़ाया जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं हैं। कुल ३९६ शिक्षा प्रेमियों के संकल्पों का योगदान, संपूर्ण हिन्दुस्तान से सहयोग, अमेरिका इंग्लैंड तक से सहयोग प्राप्ति और 1,11,11,111/- का धनराशि संग्रहित हुई जो अपने-आप में रिकॉर्ड है। इस अभियान का विराट और विहंगम दृश्य ये है कि हर दिन और अविरल रूप से एक लाख से ज़्यादा लोगों ने हमारे समाज के भामाशाह ओर ऊर्जावान लोगों का परिचय पढ़ा । हर दिन प्रेरक, पोषक, सरंक्षक या स्तम्भ के रूप में नये-नये दानदाताओं के जीवनदर्शन से परिचित हुए। नोटबंदी भी इस अभियान को विचलित नहीं कर पाई। यही विप्र फाउंडेशन की विश्वसनीयता का प्रतीक प्रमाण है। विप्र फाउंडेशन के इतिहास में इस अभियान को गौरवशाली अभियान के रूप मे जाना जायेगा। इस अभियान की सफलता किसी परिकथा से कम नहीं है किंतु इसके पीछे कार्यकर्ताओं के पुरुषार्थ की गौरवमयी गाथा है। इस धनराशि से विप्र कुल दीपको के उज्ज्वल भविष्य के लिए वांछित विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्ति में सहयोग किया जा रहा है। विप्र शिक्षा निधि अभियान एक बहुत ही सुन्दर आदर्श उच्च कोटि का अविस्मरणीय अभियान है जो हमारे हिन्दू संस्कृति की पालना करता है। समाज में कोई भी प्रतिभावान बालक धन के अभाव में अपनी शिक्षा ओर ऊँचाई को न रोक सके। समाज की हर बेटी गार्गी हो, विदुषी हो । विफा के इस प्रयत्न में सफलता मिल रही है। चूरू, चाकसू और उदयपुर के तीनों सारथी केंद्र पूर्ण मनोयोग से सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं। इस अभियान के वर्ष पूर्ति पड़ाव पर एक छोटा सा विराम लेकर इसे पुनः महाशिवरात्रि, 24 फ़रवरी 2017 से प्रारम्भ किया जायेगा। विराम की इस अवधि के दौरान प्राप्त संकल्प फ़ार्म में किसी तिथि विशेष के अलावा अन्य सभी फ़ार्म को 24 के पश्चात पोस्ट किया जायेगा। विप्र फाउंडेशन के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोग कर्ताओं का ह्रदय के अंतरतम से अभिनन्दन और आभार ।