डूंगरपुर। विप्र फाउंडेशन की ओर से आज बुधवार को शहर में उदयपुर रोड पर अस्पताल तिराहे पर भगवान परशुराम सर्किल का अनावरण किया गया। महाशिवरात्रि पर अनावरण को ऐतिहासिक बताते हुए ब्राह्मण समाज को एकजुट होने पर जोर दिया। शहर में ये पहला सर्किल है, जिसका नामकरण भगवान परशुराम के नाम पर किया गया है। इस दौरान बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज के साथ सर्वसमाज के लोग मौजूद रहे।
भगवान परशुराम सर्किल के अनावरण कार्यक्रम में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओर सांसद सीपी जोशी, विप्र फाउंडेशन के संरक्षक ओर पूर्व विधायक धर्मनारायण जोशी, रामबोला मठ के महंत शिवशंकर दास महाराज, राष्ट्रीय महामंत्री के के शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण पंड्या, प्रदेश महामंत्री योगेश जोशी, जिलाध्यक्ष ललित उपाध्याय, महामंत्री प्रशांत चौबीसा की मौजूदगी में कार्यक्रम हुआ। उदयपुर रोड स्थित अस्पताल तिराहे पर ही बने सर्किल पर भगवान परशुराम जी के फरसे ओर पट्टिका का ढोल धमाके ओर शंखनाद के साथ अनावरण किया गया। सी पी जोशी ने महाशिवरात्रि के साथ ही भगवान परशुराम सर्किल के अनावरण की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि विप्र फाउंडेशन की ओर से किए जा रहे काम सराहनीय है। इससे पहले विप्र फाउंडेशन कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में धर्मनारायण जोशी ने कहा कि ब्राह्मण ने हमेशा ही सर्वसमाज के कल्याण की सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म में बांटने का काम राजनीति ने किया है। लेकिन इससे पहले व्यक्ति अपने कर्म के आधार पर गिना जाता था। उन्होंने डूंगरपुर में ब्राह्मण समाज के लिए एक हॉस्टल बनाने की बात कही। जिस पर जिलाध्यक्ष ललित उपाध्याय ने जमीन देखने का कार्य करने की जानकारी दी। कार्यक्रम में भाजपा प्रभारी डूंगरपुर कमलेश पुरोहित, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रभु पंड्या, शांतिलाल पंड्या, रुपशंकर त्रिवेदी, हरीश भट्ट, विनोद चौबीसा, हेमेंद्र चौबीसा, भारतभूषण पंड्या समेत बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज ओर सर्वसमाज के लोग मौजूद रहे। इस दौरान दर्शन दवे को नगर युवा अध्यक्ष ओर आदर्श द्विवेदी को सांस्कृतिक एवं यात्रा प्रकोष्ठ का अध्यक्ष घोषित किया गया।
डूंगरपुर। विप्र फाउंडेशन की ओर से आज बुधवार को शहर में उदयपुर रोड पर अस्पताल तिराहे पर भगवान परशुराम सर्किल का अनावरण किया गया। महाशिवरात्रि पर अनावरण को ऐतिहासिक बताते हुए ब्राह्मण समाज को एकजुट होने पर जोर दिया। शहर में ये पहला सर्किल है, जिसका नामकरण भगवान परशुराम के नाम पर किया गया है। इस दौरान बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज के साथ सर्वसमाज के लोग मौजूद रहे।