विप्र फाउंडेशन द्वारा प्रवर्तित ‘इंटरनेशनल सोसायटी फॉर परशुराम कॉन्शसनेस'( ISPAC) की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. हर्षा त्रिवेदी के तिरुपति आगमन के अवसर पर विप्र फाउंडेशन, तिरुपति जोन 16A आंध्र प्रदेश द्वारा तिरूपति में ‘ब्रह्म संस्कृति जागरण’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में डॉ. हर्षा त्रिवेदी ने कहा कि ‘संघे शक्ति कलियुगे’ अर्थात् कलियुग में संगठन ही बहुत बड़ी शक्ति है। किसी संगठन से जुड़ने का तात्पर्य मात्र शारीरिक और ऑफिशियली जुड़ना नहीं। संगठन से जुड़ने का सही मायने में अर्थ है, पूरे हृदय से, भाव से संगठन के उद्देश्यों, उसके मानव मात्र के प्रति हित चिंतन की भावना से जुड़ना। तभी अपेक्षित परिणाम प्राप्त होते हैं। इतिहास साक्षी है कि आज तक भगवान का साक्षात्कार शुद्ध, पवित्र, निर्मल भाव वाले शबरी, केवट जैसे लोगों को हुआ है। लोकदिखावे या स्वार्थ के वशीभूत की गयी आराधना, व्यवहार, जुड़ाव सब व्यर्थ ही जाते हैं, परिणाम शून्य हो जाते हैं। डॉ. हर्षा ने उपस्थितजनों से आह्वान किया कि आप विप्र फाउंडेशन के साथ जितना भी जुड़े, भाव से जुड़ें, समाज का वर्तमान और भविष्य दोनों उज्ज्वल होंगें। हमें आत्मसंतुष्टि मिलेगी। ISPAC द्वारा आरंभ किये जाने वाले आध्यात्मिक सामग्री के स्टोर्स के बारे में भी डॉ. हर्षा त्रिवेदी ने विस्तार से बताया। समारोह में तिरूपति शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित हुए और विफ़ा की गतिविधियों की सराहना की। डॉ. हर्षा त्रिवेदी के माध्यम से सभी युवा कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद देने कार्यक्रम में वयोवृद्ध माताजी श्रीमती इंदिरा पारीक विशेष रूप से पधारीं और राष्ट्रीय संयोजक का स्वागत किया। भगवान व्यास ने घोषणा की कि अगले कुछ महीनों में दक्षिण भारत में विप्र फाउंडेशन के महाकुंभ का विराट आयोजन किया जायेगा।