कोलकाता, 30 जनवरी 2019। विप्र फॉउण्डेशन ने केन्द्र सरकार से संविधान संशोधन के जरिये आर्थिक आधार पर १५ प्रतिशत सवर्णों को आरक्षण प्रावधान को तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग सबसे पहले उठाई थी। राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी प्रदान किये जाने पर विफा के संस्थापक संयोजक श्री सुशील ओझा ने ऐतिहासिक बताते हुए स्वागत किया और राजस्थान सरकार से भी इसे तत्काल लागू करने की मांग की। श्री सुशील ओझा ने कोलकाता से वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले से समरसता और समानता के पक्षधर विप्र फाउंडेशन और विप्र समाज में ख़ुशी की लहार व्याप्त है। विफा की अनेक संस्थाओं, समूहों और कार्यकर्ताओं द्वारा आर्थिक आधार पर लम्बी लड़ाई लड़ने का ही परिणाम है कि आर्थिक आधार पर स्वर्णों को १० प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। श्री ओझा ने बताया कि इस बार टिकट वितरण के पहले विप्र फाउंडेशन ने समाज की अनदेखी के खिलाफ जनचेतना आंदोलन चलाकर कांग्रेस और भाजपा को सावचेत कर दिया था और ब्राम्हणों को उचित संख्या में टिकट देने ढ बात कही थी। परिणाम यह हुआ कि तीनों राज्यों में २७ ब्राम्हण विजयश्री प्राप्त कर विधानसभा के मेंबर बने है। श्री ओझा ने बताया कि विप्र फाउंडेशन ने अभी श्री राहुल गाँधी को पत्र लिख कर छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश की सरकार में ब्राम्हण नेताओं को उचित और सम्मानित प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण विप्र समाज निराश है। इसलिए राजस्थान में अगर उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है तो कांग्रेस के लिये नुकशानदेह हो सकता है। परिणाम यह हुआ कि राजस्थान में कांग्रेस की नवगठित सरकार में विफा द्वारा की गयी विप्र समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व की मांग को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने स्वीकार करते हुए विधानसभा अध्यक्ष जैसे गरिमामय पद पर डॉ. सी. पी. जोशी और सरकारी मुख्य सचेतक के पद पर श्री महेश जोशी को नियुक्त किया है। इसी तरह डॉ. बी. डी. कल्ला और श्री डॉ. रघु शर्मा को कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया है। यही नहीं राजस्थान के १५ जिलाध्यक्षों में से ६ जिलाध्यक्ष विप्र राजनेताओं को बनाया गया है।